यूपी पुलिस भर्ती 2025: 60,244 युवा बने रक्षक, लखनऊ में रचा गया इतिहास
60,244 नियुक्ति पत्र – केवल आंकड़े नहीं, हजारों कहानियां
15 जून 2025, लखनऊ – इकाना स्टेडियम में एक ऐसा दृश्य था, जो आम तौर पर सिर्फ फिल्मों में दिखता है। मंच पर थे गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। सामने थे देश की सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया में चुने गए 60,244 नए कांस्टेबल।
ये सिर्फ जॉब नहीं थी — ये भरोसा था उस मेहनत पर, जो गांव-कस्बों से लेकर शहरों की छोटी कोचिंग क्लासों में पसीने की शक्ल में बहा था।
पेपर लीक के बाद वापसी – आसान नहीं था रास्ता
इस भर्ती की शुरुआत फरवरी 2024 में हुई थी, लेकिन पेपर लीक ने लाखों छात्रों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। लेकिन एक अहम बात ये रही — राज्य सरकार ने परीक्षा रद्द करके ईमानदारी से दोबारा परीक्षा कराई। इस बार कैमरे, बायोमेट्रिक, स्ट्रिक्ट इन्विजिलेशन जैसे हर उपाय अपनाए गए।
एक परिचित अभ्यर्थी ने बताया, “दूसरी बार का पेपर पूरी तरह पारदर्शी था। इस बार टेंशन नहीं, विश्वास था।”
महिलाओं की बड़ी भागीदारी – नई सोच, नया सिस्टम
इस भर्ती में 12,048 महिला अभ्यर्थियों का चयन हुआ। एक तरह से ये एक समाजिक बदलाव का संकेत भी है।
एक लड़की, जो चयनित हुई, ने मीडिया से कहा – “जब मैंने शुरुआत की थी, लोग हँसते थे। आज वो लोग मिठाई खिला रहे हैं।”
ऐसी कहानियाँ केवल खबर नहीं होतीं, ये समाज की सोच को बदलने वाले बीज होती हैं।
गृह मंत्री का संदेश – सेवा, न कि सिर्फ नौकरी
अमित शाह का संबोधन छोटा था, पर असरदार। उन्होंने कहा – “पुलिस की वर्दी एक जिम्मेदारी है। ये नौकरी नहीं, सेवा है।”
इस लाइन ने कई युवाओं के लिए सोच का नजरिया बदला होगा।
उनके भाषण में साफ था कि ये भर्ती केवल संख्या नहीं है, बल्कि एक नई सोच की बुनियाद है – जहाँ पुलिस बल सिर्फ कानून का पालन करवाने वाला नहीं, बल्कि आम लोगों का साथी हो।
सीएम योगी का फोकस – भविष्य की और भर्तियाँ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आने वाले महीनों में 22,000 और कांस्टेबल, साथ ही 4,543 सब-इंस्पेक्टर की भर्ती की जाएगी।
इसका मतलब ये है कि जो इस बार रह गए, उनके लिए अगली बारी दूर नहीं।
ये केवल जॉब नहीं, सामाजिक बदलाव है
सोचिए – एक गरीब किसान का बेटा, जो खेत से लौटकर पढ़ाई करता था… अब पुलिस की वर्दी पहनेगा।
एक मां, जो बेटी को बाहर भेजने से डरती थी, अब देखेगी उसकी बेटी देश की सुरक्षा में तैनात होगी।
ऐसी छोटी-छोटी जीतें ही तो असली बदलाव लाती हैं।
पुलिसिंग को नई दिशा
सालों से लोग कहते हैं कि पुलिस की छवि बदलनी चाहिए। अब जब नए युवा, टेक-सेवी, पढ़े-लिखे और संवेदनशील लोग भर्ती हो रहे हैं, तो उम्मीद है कि शिकायतों का निपटारा तेज़ होगा, झूठे केस घटेंगे, और पुलिस आम आदमी की "डर" वाली छवि से बाहर निकलेगी।
जिन्होंने हार नहीं मानी, वही निकले आगे
कई छात्रों के अनुभव बेहद प्रेरणादायक हैं। कोई चौथी बार में निकला, तो कोई पहली बार में। किसी ने छोटे भाई को स्कूल छुड़वा कर पढ़ाई की, तो कोई दूध बेचकर कोचिंग की फीस भरता रहा।
इनकी जीत सिर्फ उनकी नहीं, पूरे परिवार की होती है।