पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री का भारत विरोधी अलगाववादी ताकतों से संबंध समाप्त करने का आह्वान

पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री का भारत विरोधी अलगाववादी ताकतों से संबंध समाप्त करने का आह्वान



 कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने हाल ही में एक भाषण में कनाडा की सियासी पार्टियों से अनुरोध किया है कि वे उन अलगाववादी ताकतों से अपने संबंध समाप्त करें जो भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देती हैं। हार्पर का यह बयान भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है, जहां दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में गिरावट देखी गई है।

 

पृष्ठभूमि: भारत-कनाडा संबंधों में तनाव

भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव उस समय बढ़ गया जब जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में स्थित एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंसियों पर इस हत्या में संलिप्त होने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। 

इस घटना के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया, और व्यापार वार्ता स्थगित कर दी गई। भारत ने कनाडा में अपने वीजा सेवाएं भी अस्थायी रूप से बंद कर दी थीं।

 

स्टीफन हार्पर का बयान

स्टीफन हार्पर, जो 2006 से 2015 तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे, ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, "कनाडा की राजनीतिक पार्टियों को उन तत्वों से दूरी बनानी चाहिए जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देते हैं। खालिस्तान जैसे आंदोलन न केवल भारत के लिए बल्कि कनाडा के लिए भी खतरा हैं।"

 

हार्पर ने आगे कहा कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को नजरअंदाज करना दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कनाडा सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे जो हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

 

खालिस्तान आंदोलन और कनाडा

कनाडा  सिख रहते हैं, जो भारत के बाहर सबसे बड़ी सिख आबादी है। इनमें से कुछ लोग खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करते हैं, जो एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र की मांग करता है। भारत सरकार ने खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे संगठनों को आतंकवादी घोषित किया है और उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है।

 

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों द्वारा आयोजित रैलियों और जनमत संग्रह ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है। भारत ने कनाडा पर आरोप लगाया है कि वह इन गतिविधियों को रोकने में विफल रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है।

 

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

कनाडा की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने हार्पर के बयान पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कंजर्वेटिव पार्टी ने हार्पर के विचारों का समर्थन किया है, जबकि लिबरल पार्टी ने कहा है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करती है, लेकिन हिंसा और आतंकवाद के खिलाफ है।

 

एनडीपी नेता जगमीत सिंह, जो स्वयं सिख हैं, ने कहा कि खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों को शांतिपूर्ण तरीके से अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन किसी भी प्रकार की हिंसा या आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 

भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने हार्पर के बयान का स्वागत किया है और कहा है कि यह कनाडा में बढ़ती खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बढ़ती चिंता को दर्शाता है। भारत ने कनाडा से आग्रह किया है कि वह ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे जो भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देते हैं।

 

निष्कर्ष

स्टीफन हार्पर का बयान भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है और यह दर्शाता है कि कनाडा के भीतर भी खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर चिंता बढ़ रही है। दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए आवश्यक है कि कनाडा ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे जो हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, ताकि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल हो सके और सहयोग को बढ़ावा मिल सके।


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