प्रयागराज की बेटी अनामिका शर्मा बनी देश की सबसे कम उम्र की स्काई डाइवर

 



"हौसलों की उड़ान में न उम्र रुकावट बनती है, न सीमाएं..."
इस कहावत को हकीकत में बदल कर दिखाया है प्रयागराज की बेटी अनामिका शर्मा ने, जो अब देश की सबसे कम उम्र की स्काई डाइवर बन गई हैं। अनामिका ने 14,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर न सिर्फ अपने सपनों को पंख दिए, बल्कि भारत माता को अपने अद्भुत साहस और समर्पण के साथ एक विशेष सलामी दी।



‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत लहराया तिरंगा

यह केवल एक रोमांचक स्काई डाइविंग कारनामा नहीं था, बल्कि देशभक्ति से भरा एक ऐतिहासिक क्षण भी था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत अनामिका ने 14,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर हवा में तिरंगा लहराया और भारतीय सेना को अपने अनोखे अंदाज़ में सलामी दी। उनके इस साहसिक कदम ने देशभर में गर्व और प्रेरणा की लहर दौड़ा दी है।




कम उम्र, ऊंचे इरादे

अनामिका की उम्र भले ही कम हो, लेकिन उनके हौसले किसी पर्वत से कम नहीं। बेहद कम उम्र में उन्होंने वो कर दिखाया है जो बहुत से लोग सपने में सोचते हैं। स्काई डाइविंग जैसा साहसी खेल आमतौर पर अनुभव और उम्र मांगता है, लेकिन अनामिका ने यह मिथक तोड़ते हुए साबित कर दिया कि "हिम्मत हो तो हर ऊंचाई छोटी लगती है।"

भारत की बेटियों का बढ़ता आत्मविश्वास

अनामिका का यह कदम उन लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित सोच और सामाजिक बंधनों में अपने सपनों को दबा लेती हैं। आज का भारत बेटियों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, और अनामिका इसका चमकता हुआ उदाहरण हैं। उनके इस कदम ने यह संदेश दिया है कि बेटियां केवल घर की नहीं, देश की भी शान हैं।

देशभर से मिल रही सराहना

अनामिका की इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया से लेकर समाचार जगत तक हर तरफ उनकी सराहना हो रही है। आम नागरिकों से लेकर पूर्व सैनिकों और राष्ट्रीय नेताओं ने भी उनकी हिम्मत और जज्बे की खुलकर तारीफ की है।

नया भारत, नई उड़ान 

अनामिका शर्मा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि नए भारत की असली उड़ान बन चुकी हैं। उनका यह साहसी कार्य सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि हर उस युवा का प्रतिनिधित्व करता है जो सपनों को हकीकत में बदलने का जज़्बा रखता है।

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